Category: पहला कदम
उठावनी में दान
उठावनी में दान की घोषणा को रिवाज़ मानना चाहिये । पर उस दान में से सुपात्र-दान (आहार दान) नहीं करना चाहिये। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
आत्मा / जीव
जीव – द्रव्य तत्व है, आत्मा – भाव तत्व। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
अहिंसा
आ.श्री …रात्रि में लाइट जलाकर स्वाध्याय नहीं करना। रात्रि का प्रतिक्रमण याद नहीं है तो रात्रि वाला दिन में कर लेना, जब तक याद ना
उत्तम क्षमा
अपना प्रयास , किसी से कलह ना हो, यदि हो तो तत्काल उसका निवारण कर दें, उसे बैर में परिणत ना होने दें। यही ग्रहस्थों की
उत्तम ब्रम्हचर्य धर्म
स्वदार-संतोष को कुशील नहीं कहा, व्रत कहा है, ब्रम्हचर्याणु व्रत। शादी धार्मिक संस्कार है, वासना पूर्ति के लिये नहीं, वासना को सीमित करना है। वेदना
उत्तम आकिंचन्य धर्म
मैं किसी के पास नहीं जाउंगा/किसी का कुछ लेने के भाव नहीं रखूंगा/अपने में भी ममत्व नहीं । मैं आकिंचन्य हूँ । ये भाव ही
उत्तम त्याग धर्म
कर्मों को जला-जला कर छोड़ना ही, उत्तम त्याग है । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
उत्तम तप धर्म
तप-– 6 बाह्य तप, 6 अंतरंग तप। 6 बाह्य तप में पहले चार भोजन से संबधित हैं-– उपवास ऊनोदर वृत्तिपरिसंख्यान रस परित्याग चारों को पहले इसलिये
उत्तम संयम धर्म
संयम दस धर्मों में छ्ठे दिन ही क्यों रखा गया ? क्योंकि छ्ठे गुणस्थान में ही संयम संभव है । श्रावक भावना लिंगी है तथा
उत्तम सत्य धर्म
चार ज्ञान के धारी भगवान भी केवलज्ञान तक मौन रखते हैं । क्यों ? क्योंकि वो थोड़ा सा भी असत्य नहीं बोलना चाहते हैं ।
Recent Comments