Category: पहला कदम
चारित्र धारण
जिसने अपने बाल स्वंय नहीं उखाड़े, उसके बालों को दूसरे उखाड़ेंगे । इस जन्म में मुनि नहीं बने/बनने के भाव नहीं रखे, तो अगले भव
मुनियों के आहार
मुनि तो रूठे हुये बच्चे जैसे आहार लेते हैं, छोड़ने के बहाने ढ़ूँढ़ते रहते हैं । सतीश – ग्वालियर
धर्मोपदेश
1. पंगत में भोजन कर लेने* के बाद परोसना** भी चाहिये । 2. भोजन ढ़का*** भी रखना चाहिये तथा भूखे**** को ही परोसें । * शिक्षा
ज्योतिष और धर्म
ज्योतिष बुरे समय का इशारा देता है । धर्म समाधान और बुरे समय में स्थिरता/हिम्मत देता है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
पूजादि और वैभव
पूजादि का वैभव से संबंध नहीं होता, सुख और शांति से होता है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
दान
दान देना हो तो सुपात्र को दें, दान लेने आये तो कुपात्र को भी दें (करुणा-दान) । सुभाष-चिंतन
संस्कार
आज व्यसन नहीं कर रहे हो, ठीक है । पर क्या छोड़ने का संकल्प लिया ? सावधान रहने का बार बार चिंतन किया ? भविष्य
जीवन का उद्देश्य
अज्ञान से ज्ञान, दु:खी से सुखी, असाता से साता, रूपी से अरूपी, लौकिक से अलौकिक, शरीरी से अशरीरी, आश्रित से स्वाश्रित…. बनना ही जीवन का
धर्मध्यान और कर्म-क्षय
तीर्थंकरों के भी कितने कर्म आत्मा से चिपके रहते हैं कि उनका क्षय करने के लिये आदिनाथ भगवान को 1000 वर्ष धर्मध्यान करना पड़ा !
बारह भावनाओं में धर्म
बारह भावनाओं में “धर्म” अंत में क्यों लिया ? पहली भावनाओं से मन शांत होता है, तभी तो “धर्म” प्रवेश कर पायेगा ! मुनि श्री
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