Category: पहला कदम
निमित्त
अनंत शक्तिवान सिद्ध भगवान भी पूर्व शरीर के निमित्त से (जो सबसे हीन शक्ति वाला होता है), अनंतकाल तक उसी आकार में बने रहते हैं
प्रासुक
छेदन-भेदन से भी प्रासुक । सोंफादि को पीसने से/ छिलका हटने से, इस अपेक्षा प्रासुक से कहा है । फलों के लिये ये विधि नहीं
सिद्ध भगवान की मूर्ति/अभिषेक
क्या सिद्ध भगवान की मूर्ति का अभिषेक होता है ? पतरे में सिद्ध भगवान के आकार वाली का नहीं । अरहंत भगवान जैसी (पर बिना
सिद्धि
1. मंत्रों की सिद्धि, मन की इच्छाओं की पूर्ति (मिथ्यादृष्टि द्वारा) के लिये ही नहीं, मन को साधने (एकाग्रता) के लिये/ सम्यग्दृष्टि के लिये भी
वस्त्रादि
वस्त्रादि रौद्र-ध्यान के प्रारूप हैं । (वस्त्रादि बहुत सी समस्याओं के समाधान के साथ साथ कारण भी हैं ।) आचार्य श्री विद्यासागर जी
मोह
मोह… पदार्थों का अयथार्थ ग्रहण करना । दूसरों के परिणमण को अपना परिणमण मानना । दूसरों में एकत्व बुद्धि होना । कर्तव्य करते हुये अंतरंग
मुनि की मूर्ति
मुनियों की कौन सी अवस्था की मूर्ति बनायें ? युवावस्था की या वृद्धावस्था की ? पेट बाहर निकले/ चेहरे पर झुरिंयों सहित या सुडौल/ सुंदर
बीस तीर्थंकर
पुराने आचार्यों ने 20 तीर्थंकरों की भक्ति नहीं लिखी । भरत ने 72 जिनालय बनाये पर बीस तीर्थंकरों के नहीं । पुरानी प्रतिमायें भी नहीं मिलतीं है
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