Category: पहला कदम
भाव
गोदाम में यदि माल नहीं भरा होगा तो भाव बढ़ने पर नफा कैसे होगा! इसलिये अंतरंग में अच्छा माल तो होना ही चाहिए, भाव जब
सम्यग्दृष्टि
चेलना के गर्भावस्था में विकारीभाव आने में पर्याय दृष्टि से तो गर्भस्थ जीव निमित्त था; पर चेलना की सम्यग्दृष्टि >> “गर्भस्थ जीव से पहले मेरे
आत्मा
एक दर्शन का मत है कि आत्मा 5तत्त्वों से मिलकर बनी है। तो मिट्टी की हांडी में कुछ पक रहा हो तो पृथ्वी (मिट्टी), अग्नि,
संख्या का नियम
महिलायें प्राय: सब्जियों/ पदार्थों की गिनती का नियम लेती हैं पर अंत में जब उनके भोजन करने का नम्बर आता है तो कोई चीज 1चम्मच,
नासा दृष्टि
श्रमण श्रावक को देखेगा तो वीतरागता कम होगी; श्रावक श्रमण को देखेगा तो वीतरागता बढ़ेगी। सम्यग्दृष्टि को झुकी आँखें देखने (नासा दृष्टि) में आनंद आता
चतुष्टय
जो स्व-चतुष्टय को समझ लेता है, वह पर-चतुष्टय का आलंबन नहीं लेता, क्योंकि वह जानता है कि दोनों में बराबर शक्तियाँ हैं। ज़रूरत स्व-चतुष्टय की
मिथ्या/सम्यग्ज्ञान
ज्ञानी इंद्रिय को गौण करके सम्यग्ज्ञान को जगाता है। श्रद्धा की आंखों से मति/श्रुत ज्ञान की नयी पर्याय आंखें बंद करके देखता है जैसे स्वप्न
ज्ञान / दर्शन
हर वस्तु में मात्र ज्ञेयक शक्ति होती है पर ज्ञान और दर्शन में ज्ञायक तथा ज्ञेय दोनों शक्त्तियाँ होती हैं। सब पुदगल पर-प्रकाशित, लेकिन दीपक
सुख
मुनियों का सुख जैसे कुंए में ढूकना (झांकना), जैसे बच्चे का उस ओर दृष्टि करना। केवलज्ञानी का लगातार शीतल जल ग्रहण करना/ अनंत-सुख का अनुभव
कृत्रिम
वैभव हमेशा परिग्रह ही नहीं, अनुग्रह* भी होता है। *Grace आर्यिका श्री विज्ञानमती माताजी
Recent Comments