Category: पहला कदम
कृत्रिम
वैभव हमेशा परिग्रह ही नहीं, अनुग्रह* भी होता है। *Grace आर्यिका श्री विज्ञानमती माताजी
हितैषी / दुश्मन
हितैषी और दुश्मन की क्रियाएं (बाह्य) एक सी होती हैं; दोनों ही असहाय करने का प्रयत्न करते हैं। मुनि श्री सुधासागर जी
कर्म-फल चेतना
पेड़ दूसरों को फल और छाया देते हैं; ख़ुद नहीं लेते। फिर भी उन्हें पुण्य नहीं; ऐसा क्यों? उनके दूसरों को देने के भाव नहीं
आहार दान
पंचाश्चर्य आहार-दान पर ही होते हैं; तीर्थंकरों के कल्याणकों पर भी नहीं। आर्यिका श्री विज्ञानमती माताजी
महावीर भगवान के जन्म और निर्वाण स्थल
महावीर भगवान के जन्म और निर्वाण स्थलों को लेकर विवाद है; जब कि शेष 23 तीर्थंकरों के जन्म और निर्वाण स्थलों के संबंध में विवाद
पूजा मूर्ति की या मूर्तिमान की ?
मूर्तियों के पंचकल्याणक तो अलग-अलग तिथियों पर मनाते हैं, लेकिन उन मूर्तियों की पूजा में मूर्तिमान के कल्याणकों की वास्तविक तिथियाँ ही बोलते हैं। तो
आत्मा को जानना
आत्मा के अस्तित्व का एहसास तो मिथ्यादृष्टि भी करता है, पर सम्यग्दृष्टि आत्मा की त्रैकालिक अवस्था पर विश्वास करता है। चिंतन
व्यवहार / निश्चय
व्यवहार नीति है। रानी चेलना ने मुनि के शरीर से चींटियां हटायीं। निश्चय धर्म है। नीति धर्म की रक्षा करती है। आचार्य अमृतचंद्र सूरि ने
पुदगल
पुदगल पुदगल में रहता भी है, पुदगल पुदगल को खाता भी है, पुदगल पुदगल का निर्माण भी करता है । जैसे Teen Sheet से कार,
विवेक
दीक्षा के 4-5 माह तक सोते नहीं थे। एक रात गिर गये; चोट लग गयी। आचार्य श्री ने कहा, “यह मुनि पद की विराधना है।
Recent Comments