Category: डायरी
परेशान
परेशान = पर + ईशान। ईशान(संस्कृत) = मालकियत। परेशान तब जब “पर” के ऊपर मालकियत के भाव हों। क्षुल्लक श्री सहजानंद वर्णी जी
“पर” से दुःख
डाक्टरों ने एक Experiment किया –> एक महिला के दोनों हाथ मेज पर रखवाये, बीच में Partition खड़ा कर दिया। बायें हाथ के पास एक
प्यार किससे ?
जो जिंदा को प्यार करते हैं, वही जाने के बाद उनसे प्यार कर सकते हैं जैसे भगवान को उनके जाने के बाद भी प्यार करते
कटु-शब्द
यदि कोई कटु-शब्द कहे तो चिंतन करें → 1. ये शब्द मेरे ही तो हैं (कभी मैंने कहे होंगे) 2. कहने वाला मेरा ही कोई
Give & Take
“2get” and 2give” creates many problems. So, just double it .. “4get” and “4give” solves many problems. (J.L.Jain)
सम्पर्क
लोहा अग्नि के सम्पर्क में अग्नि जैसा, लेकिन लोहा अग्नि नहीं। “पर” के निमित्त से “मैं” अशांत लेकिन अशांत मेरा स्वभाव नहीं। शांतिपथप्रदर्शक
Reaction
An eye for an eye makes the whole world blind. – Mahatma Gandhi Ji (You can’t solve violence with violence)
शरीर और आत्मा
बचपन, युवावस्था, वृद्धावस्था में शरीर अलग-अलग पर आत्मा एक। यदि वृद्धावस्था को स्वीकार लिया तो जीवन में निराशा, यदि अपने को आत्मा मान लिया तो
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