Category: डायरी
पापी-पेट
जो पाप रूप सामग्री पेट में डालते हैं तथा पाप करते हैं, उनका पापी-पेट । साधु, शुद्ध सामग्री लेने वाले का पेट पापी कैसे ?
जीवन-यात्रा
जीवन-यात्रा… “क्या नहीं” से “क्या है” तक की ही होती है । प्यार पाने (प्यार तो कुत्ते से भी मिल जाता है) से इज्जत पाने
विज्ञान
ज्योतिष-विज्ञान असफल हो सकता है, क्योंकि बहुत से जीवों की एक सी ग्रहदशा होती है । पर स्वर-विज्ञान नहीं क्योंकि वह हर व्यक्ति की विशेष
धोख़ा
उड़ती हुई धूल को गुलाल मानना तो आसान है, पर आंखों में फेंकी धूल को गुलाल कैसे मानें ? यश-बड़वानी आ.श्री विद्यासागर जी कहते हैं
ध्यान
ध्यान में मन भटकता क्यों है ? जिनका मन दिन-भर भटकता है, उनको रात में सपने बहुत आते हैं और भटकने वाले होते हैं ।
भोग
भोग को मिठाई की तरह भोगोगे (स्वाद ले ले कर, खूब मात्रा में) तो दवाई खाना पड़ेगी । दवाई की तरह लोगो (मजबूरी/ कम मात्रा
ज्ञान / विज्ञान / धर्म
ज्ञान – जानकारी देता है, आकर्षण का निमित्त बनता है । विज्ञान – उस ज्ञान को Analyse करके, भौतिक सुविधायें देता है । धर्म –
त्याग
त्याग दो प्रकार का — 1. संग्रह किये हुये को छोड़ना 2. संग्रह करना ही नहीं
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