Category: डायरी
कार्यक्रम
जीवन को सुचारु रूप से चलाने/ सफ़ल बनाने… 1. क्रम से कार्य करना । 2. ऐसे कार्य करना जिससे आगे का क्रम बन जाये ।
कर्मों की शक्ति
हवा झंड़े को लहरा तो देती है, पर उसको उखाड़ नहीं पाती । ऐसे ही कर्म जीव को हिला तो सकते हैं, उखाड़ नहीं सकते
स्वावलम्बन
“अगरबत्ती” अपने सहारे जलती है, इसलिये महकती है, फूँक मारने से भी बुझती नहीं है (और ज्यादा जलने लगती है), जबकि “दिया”, घी/बाती/मिट्टी के सहारे,
सम्बंध
एक घड़ा तैरता हुआ दूसरे घड़े के पास आने लगा तो दूसरा घबराया । क्यों ? हम तो एक ही जाति के हैं ? जब
कर्म-फल
मालिक ने कर्मचारी को मारा, कर्मचारी ने घर पहुँच कर बच्चे को, बच्चे ने कुत्ते को मारकर घर से निकाल दिया, कुत्ते ने राहगीर को
दुष्ट और दुष्टता
दुष्टता को सहन करने से कर्म कटेंगे, दुष्ट को सहन करने से दुष्टता का अनुमोदन होगा, कर्म बंधेंगे । श्री लालमणी भाई – चिंतन
देशभक्ति
तमन्ना तो मेरी भी थी देश के लिये कुछ करने की, पर क्या करूँ ! पेट भर गया तो नींद आ गयी ।
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