Category: डायरी
सुंदरता
“सत्यम् शिवम् सुंदरम्” सत्य यही है कि जब तक शिव (आत्मा) है तभी तक सुंदरता है (शरीर की) । सो सुंदरता तो आत्मा की ही
समर्पित /ज़िद्दी
समर्पित इच्छाओं को श्रद्धेय के चरनों में समर्पित करता है, ज़िद्दी इच्छाओं की पूर्ती श्रद्धेय से कराना चाहता है, अपने जीवन को रद्दी बना देता
भैंस के आगे बीन
रे गंधी मत अंध तू, असर (इत्र) दिखावत काय ! जो कर फुलेल कौ आचवन (पीना), मीठा कहत सराह !! (श्री लालमणी भाई)
सन्निधि
विधि व निधि* होते हुए भी यदि सन्निधि** नहीं तो सब बेकार । * विवेक/बुद्धि ** धर्म से जुड़ना आचार्य श्री विद्यासागर जी
समस्या
समस्या को तपस्या बना लो, फ़िर वह समस्या नहीं रह जाती । कैसे बनायें ? समस्या को स्वीकार करके ।
Surrender
Be willing to surrender what you are, for what you could become in your life.
चाह
जीवन को “आह” से “वाह” में परिवर्तित करने के लिये “चाह” हटाना होगा । तब जीवन को “राह” मिल जायेगी ।
महान
पहले अपने मन पर नियंत्रण करें, फ़िर अपने माता-पिता/गुरु की नज़र में महान बनें । बस! फ़िर किसी और की चिंता मत करना, कोई महान
स्वीकृति
जीवन में वह सब सरल जिसे स्वीकार लिया और वह सब कठिन जिसे नकार दिया । फिर चाहे वह धर्म का हो या अधर्म का
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