Category: डायरी
प्रवृत्ति / निवृत्ति
वीतराग/अहिंसा धर्म में पहले उपदेश साधु बनने का/ छोड़ने का होता है, क्योंकि इसमें निवृत्ति की प्रमुखता है । अन्य मत प्रवृत्तिआत्मक होते हैं ।
सत्य की शक्ति
सत्य दुनिया को बदल सकता है, पर सारी दुनिया मिलकर भी सत्य को नहीं बदल सकती ।
कोरोना और धर्म
भगवान महावीर ने खुद के दर्शन करने को नहीं कहा, पूजादि करने को भी बाद में कहा; पहले खानपान की शुद्धता पर जोर दिया; जो
कर्म / धर्म
कर्म किया जाता है, धर्म धारण करते हैं, कर्म करने से धर्म बना रहता है । साधु बिना कर्म किये हुये भी धर्म बनाये रखते
परम्परा
मनुष्य यंत्रों की सहायता लेकर भी भटक जाता है । पक्षी हजारों किलोमीटर बिना यंत्रों के अपने गंतव्य पर पहुँच जाते हैं, क्योंकि वे लीक/परम्परा
आरोग्यता
रोगों के आने के रास्तों को बंद करना ही आरोग्यता है । रास्ते बंद करने का तरीका ? मन,वचन,काय की पवित्रता से । आचार्य श्री
धर्म-चर्चा
धर्म-चर्चा से जरूरी नहीं कि आप आगे बढ़ेंगे, पर इतना अवश्य है कि आप पीछे नहीं जायेंगे ।
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