Category: पहला कदम
सुख
जब संसार में सुख नहीं है तो हम जियें किसके लिये ? जियो उन संसारी कर्त्तव्यों को पूरा करने के लिये जिस संसार को आपने
अणु / स्कंध
8 प्रकार के स्पर्शों में से अणु में 2 गुण (एक बार में) स्निग्ध/ रूक्ष में से एक तथा शीत/ उष्ण में से एक। स्कंध
पूजादि
धार्मिक क्रियाओं में “पहले मैं करूँ” की भावना प्रायः अहंकार सहित होती है सो मिथ्यात्व का कारण, हालांकि पुण्य बन्ध तो होगा। यही किया ज्ञानी
लेश्या
कल्पवासी में जन्म लेने के लिए सम्यग्दर्शन हो या ना हो, किन्तु शुभ लेश्या का नियम है। अन्त समय में यदि अशुभ लेश्या हो गई
वैमानिक देव
सम्यग्दर्शन की अपेक्षा से नहीं किंतु शुभलेश्या के कारण वे विमानवासी देव माने जाते हैं। मान सम्मान के साथ वहां पर रहते हैं इसीलिए उनको
केवलज्ञान / पुरुषार्थ
जब केवलज्ञान में भविष्य दिख रहा है तो पुरुषार्थ का क्या महत्त्व रह गया ? एक लड़के ने कीड़ा मुठ्ठी में रखकर भगवान से पूछा
पूर्वाग्रह
आजन्म करावास पूरा करके एक व्यक्ति ट्रेन से अपने गांव की ओर जा रहा था। साथियों से बोला… स्टेशन आने पर जरा देख कर बताना
समाधि के बाद पिच्छी
समाधि के बाद पिच्छिका भक्त/ घरवालों को न देकर वहीं पेड़ पर लटका दी जाती है, ताकि दिवंगत जीव भवनत्रिक देव बनने की दशा में
श्रुतज्ञान
श्रुतज्ञान ही स्व(स्वार्थ)-पर(परार्थ) कल्याणक होता है। बाकी चार ज्ञान स्वार्थज्ञान ही हैं। केवलज्ञान भी जानता है पर उसके द्वारा दिव्यध्वनि नहीं खिरती। इसके लिये अन्य
तत्वार्थश्रद्धानं सम्यग्दर्शनम्
श्रद्धा पुनरावृत्ति पर Depend करती है। पर शाश्वतता पीछे छुप जाती है जैसे बार-बार कहना –> ये ही सत्य है – ये ही सत्य है।
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