Category: पहला कदम

मिथ्यात्व पर श्रद्धान

यदि यह श्रद्धान पक्का हो जाय कि संसार का कारण मिथ्यात्व है तो यह सम्यग्दर्शन उत्पन्न करने में निमित्त बन सकता है। आचार्य श्री विद्यासागर

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क्षायिक सम्यग्दृष्टि

IAS परीक्षा में ज्यादातर लोग तीसरी या चौथी बार में निकल जाते हैं। ऐसे ही क्षायिक सम्यग्दृष्टि 3 या 4 भव में संसार से निकल

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ज्ञान / स्वाध्याय

आचार्य श्री विद्यासागर जी कहते हैं – ज्ञान/ स्वाध्याय का फल होना चाहिये → 1. हान → हानि – अशुभ की (त्याग) 2. उपादान →

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तीर्थंकर

जब प्रद्युम्न कुमार का अपहरण हुआ था तब शायद नेमिनाथ भगवान का जन्म ही नहीं हुआ था। क्योंकि तीर्थंकर को परिवारजनों का वियोग नहीं होता

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अरहंतों की क्षमता

जब भगवान के दानांतराय कर्म का क्षय पूरी तरह से हो जाता है, तो भी बहुत से जीवों को वे अपनी बात समझा क्यों नहीं

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तीर्थंकर का मुनि साक्षात्कार

तीर्थंकरों का मुनियों से साक्षात्कार नहीं होता । क्योंकि होने पर तीर्थंकर वंदना नहीं करेंगे तब धर्म की कुप्रभावना होगी । स्व. पं. रतनलाल बैनाडा

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नोकषाय

प्राय: छोटे को छोटा मानकर छोड़ देते हैं जैसे नोकषाय। 4 कषायों की चर्चा बहुत होती है। पर नोकषायों के कर्मफल भी बहुत कष्टप्रद होते

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क्षायिक-दान

सिद्धों में क्षायिक-दान कैसे घटित करेंगे ? सिद्धों को ध्यान/ अनुभूति में अपने पास लाकर अभय का अनुभव करके। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र-

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कर्मोदय का प्रभाव

कर्मोदय का प्रभाव व्यक्ति विशेष पर ही नहीं, आसपास के व्यक्तियों पर भी होता है। जैसे आदिनाथ भगवान के कर्मोदय से सौधर्म इंद आहार विधि

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पुष्पवृष्टि

क्या केवलियों पर पुष्पवृष्टि भोगांतराय कर्म के क्षय से होती है ? सामान्य केवली के कल्याणकों पर भी वृष्टि होती है, पर कुछ समय के

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मंगल आशीष

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