Category: डायरी

साधन का सहारा

संस्कार शिविरों के अनुभवों को तब तक याद रखें, जब तक उनसे ऊपर न उठ जाय (कई शिविरार्थी साधु बन गये जैसे मुनि श्री पूज्यसागर

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अर्थ / परमार्थ

जब तक व्यक्ति खुद अपने को संसार के लिये अर्थपूर्ण मानेगा, वह परमार्थ में अर्थहीन रहेगा। जब संसार के लिये अर्थहीन हो जायेगा तब परमार्थ

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निमित्त / नियति

निमित्त तथा नियति को एक समय में एक को ही महत्व देने का मतलब उसकी अधीनता स्वीकार करना। लेकिन दोनों तथा अन्य कारणों (पाँचों संवाय

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नियंत्रण

मिट्टी का घड़ा बाहर की गर्मी को अंदर प्रवेश नहीं करने देता। मनुष्य भी तो मिट्टी से बना/ मिट्टी में ही (घड़े की तरह) मिल

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भगवान महावीर/ Resilience*

भगवान महावीर के जन्म-कल्याण ( जयंती ) पर शुभ कामनाएं । ……………………………………. They tried to bury us, they didn’t know we were seeds. Ekta- Pune

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गुण / गुनाह

आदमी के “गुण” और “गुनाह” दोनों की कीमत होती है। अंतर सिर्फ इतना है कि “गुण” की कीमत मिलती है और “गुनाह” की कीमत चुकानी

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ओस

(एन.सी.जैन) ओस की एक बूंद सा है जिंदगी का सफर कभी ” फूल” में तो, कभी धूल में।

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क्रिया / भाव

धान कूटते देख कर तो पता नहीं लगता कि व्यक्ति धान कूट रहा है या छिलके (क्योंकि ऊपर छिलके ही दिखते हैं)। धार्मिक क्रियाओं को

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मंगल आशीष

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