Category: डायरी
संघर्ष / संस्कार
यदि बड़े होकर संस्कारित नहीं रहे तो बदनाम कौन होगा ? हमारी माँ।
अहिंसा
बलि के पक्ष में कुतर्क… उस जानवर को तो मरना ही था। यहाँ मेरे हाथों मर गया ! मारने में तुम क्यों निमित्त बनो ?
दिल / दिमाग
सर्विस करते समय दिल और दिमाग में कई बार संघर्ष होता है क्या करें ? रेणु जैन-कुलपति प्रशासनिक निर्णय लेते समय दिमाग से काम करें,
सोच
विचार ऐसे रखो कि तुम्हारे विचारों पर भी विचार करना पड़े। समुद्र जैसे बड़े बनने से क्या, तालाब जैसे छोटे बनो जहाँ शेर भी पानी
कर्म
यहाँ न बादशाह चलता है, ना ही इक्का चलता है। खेल है कर्मों का, यहाँ कर्मों का सिक्का चलता है। (रेनू-नयाबाजार)
बदनाम
एक बुजुर्ग को गाली देने की आदत थी। इसी अवगुण से वे जाने जाते थे। उनके बच्चों को चिंता हुई। पिता की बदनामी को मिटाने
स्वयं
संसार में सबसे ज्यादा चर्चा किसकी सुनने का मन होता है? स्वयं की। तो उस शख्स से मिलने का मन नहीं करता ? कभी उससे
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