Category: पहला कदम
शरीर और आत्मा का प्रभाव
भगवान जब जन्म लेते हैं एक समय के लिए नारकियों को भी साता हो जाती है। लेकिन भगवान के केवली समुद्घात जो प्रत्येक दिन एवरेज
खादी
खादी बनाना करुणानुयोग का विषय है। कैसे ? खादी बनाना भी गणितीय विषय(ताना-बाना बुनते) है। (जो करुणानुयोग का स्वाध्याय है और संवेग का विषय है)।
ब्रह्मचर्य
संत सुकरात से शिष्य ने पूछा – कम से कम कितने दिनों का ब्रह्मचर्य रखना चाहिये ? एक दिन छोड़ कर जीवन पर्यंत का। मन
संस्थान / दीक्षा
चौथे काल में किसी भी संस्थान वालों को दीक्षा दे दी जाती थी, पर पंचम काल में नहीं। मुनि श्री सौम्य सागर जी- 11 फरवरी
आत्मा का वर्ण
आत्मा का कोई वर्ण नहीं होता। कथंचित् कारण –> आत्मा में लेश्या नहीं होती (वर्ण/ लेश्या, कर्म वर्गणाओं से ही होती है)। लेश्या नहीं, तो वर्ण
पुरुषार्थ और नियति
पुरुषार्थ का अर्थ प्रयत्न नहीं, अपितु पुरुष का उद्देश्य है। आत्मा ही हो प्रयोजन जिसका वह पुरुषार्थ है, यही नियति है। अपने में ही पुरुषार्थ
सामायिक
सामायिक दो प्रकार की → निवृत्त्यात्मक। प्रवृत्यात्मक। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी शंका समाधान (20.9.23)
आत्मा का रंग
लेश्यायें छह रंग की होती हैं। आत्मा में लेश्यायें नहीं होती हैं। इसलिये भी आत्मा को रंग रहित कहा जाता है। चिंतन
संसार
“संसार असार है” यह एकांत से कहा जाता है। व्रतियों के लिए तो असार नहीं है। मुनि श्री सौम्य सागर जी- 10 फरवरी
समवसरण की पात्रता
समवसरण की पात्रता के बारे में दो मत हैं। सम्यग्दृष्टि ही जा सकते हैं। मिथ्यादृष्टि भी। लेकिन पहला ज्यादा मान्य है क्योंकि सभाओं में जाने
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