Category: पहला कदम

ज्ञान की परिणति

आत्मा, इंद्रियाँ तथा मन ज्ञान के साथ चल रहे हैं। ये सब ज्ञानात्मक परिणतियाँ हैं। सबसे ज्यादा परिणति स्पर्शन इंद्रिय से ही होती है क्योंकि

Read More »

पंच-परावर्तन

चक्रवर्ती भरत के 923 पुत्र तो अनादि से निगोद में ही रहे थे, उनके पंच-परावर्तन कैसे घटित होगा ? पंच-परावर्तन अनंत को दर्शाता है। उनके

Read More »

पहले संसार फिर मुक्त

शास्त्रों में पहले संसारी, बाद में मुक्त जीवों का वर्णन क्यों ? 1. पहले संसार ही तो होता है फिर मुक्त होते हैं। उल्टा करने

Read More »

श्रावक के मूलगुण

1. जब नवजात बच्चे को 40वें/ 45वें दिन जैन बनाने मंदिर ले जाते हैं तब मद्य, मांस, मधु तथा 5 उदंबरों = 8 का त्याग

Read More »

निर्विचिकित्सा

निर्विचिकित्सा गुण उसी में होता है जो राग/ द्वेष, सुंदरता/ असुंदरता से ऊपर उठ गया हो। शांतिपथ प्रदर्शक

Read More »

पारिणामिक भाव

तीनों (जीवत्व, भव्यत्व, अभव्यत्व) जीव/ द्रव्य में बने रहते हैं। उस तरह का परिणमन हर समय बना रहता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थसूत्र- 2/7)

Read More »

अकाल मरण

अकालमरण देव, नारकी, भोग भूमिज, चरमोत्तम शरीरी को नहीं होता तत्त्वार्थ सूत्र जी जिज्ञासा… आयुबंध होने के बाद भी तो नहीं होता है उसको क्यों

Read More »

तैजस काय योग ?

तैजस काय योग नहीं होता है जैसे औदारिक/ वैक्रियक/ आहारक/ तीन मिश्र काय योग होते हैं। क्योंकि तैजस शरीर की वर्गणाओं से आत्मा में परिस्पंदन

Read More »

बारह भावना

लोकांतिक देव बारह भावना भाकर ही बने, आज भी भाते हैं। तीर्थंकर जब बारह भावना भाकर गृहत्याग करते हैं, तब आकर अनुमोदना करते हैं। आचार्य

Read More »

नय

1. निश्चय नय → कर्म/ संसार/ आस्रव तथा मोक्ष को भी नहीं स्वीकारता। सिर्फ शुद्ध स्वरूप को मानता है। गंतव्य/ लक्ष्य/ मंज़िल पर दृष्टि रखता

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives

March 8, 2024

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930