Category: पहला कदम
स्कंध / वर्गणा
वर्गणा में Pattern होता है। वर्ग एक समान शक्ति वाले अणुओं का ग्रहण। एक-एक अणु बढ़ाते-बढ़ाते भी Quality में फर्क नहीं होता। स्कंध में कोई
सल्लेखना
श्रमण, कषाय सल्लेखना तो हर समय करते रहते हैं। अंत में तो व्यवहार सल्लेखना होती है। आचार्य श्री विद्यासागर जी
रूपी / मूर्तिक
रूपी शरीर नामकर्म का विषय है, मूर्तिक संस्थान नामकर्म का। चिंतन
कल्याणक
मुनियों को गर्भ तथा जन्म कल्याणकों को देखने में रुचि नहीं रहती। तप कल्याणक से भी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, निष्कृमण (घर छोड़ना)। उन्हें तपादि
सम्यग्दर्शन
रत्नकरण्ड श्रावकाचार…. सच्चे देव, गुरु, शास्त्र पर श्रद्धा। तत्त्वार्थ सूत्र आदि…. तत्त्वों पर श्रद्धा। 7 तत्व में देव, गुरु, शास्त्र समाहित हैं…. अरहंत/ सिद्ध मोक्ष
एकत्व
‘पर’ की अस्वीकृति और स्वयं की स्वीकृति ही एकत्व की स्वीकृति है। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
शुभ नामकर्म
तपस्वी मुनियों को आहार देने से उच्च कुल मिलता है। भक्ति से सुंदरता। पूजा/स्तवन से कीर्ति। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
ज्ञान / चरित्र
दीपक कमरे को प्रकाशित कर सकता है पर ताप नहीं दे सकता, उसके लिये तो अग्नि प्रज्वलित करनी होगी। सम्यग्दर्शन/ सम्यग्ज्ञान से कर्म जलेंगे नहीं,
देवों में पाप
देवों में 5 पाप कैसे घटित होंगे ? 1. पापों का त्याग न होने से। 6. राग की अधिकता से। मुनि श्री सुधासागर जी
गुरु आज्ञा
शिक्षा गुरु के द्वारा शिक्षा पूर्ण करने पर मुनि भूतबली/ पुष्पदंत जी को यथास्थान चातुर्मास करने को कहा। मुनि भूतबली… 7-8 दिन रह गये हैं,
Recent Comments