Category: डायरी

कर्म काटना

दिगंबर साधु तपस्या में लीन थे। चोर नग्न साधु को अपशकुन मानकर उपसर्ग करने लगा। उपसर्ग समाप्त होने पर साधु ने चोर से कहा –>

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प्रभु की खोज

प्रभु खोजने* से नहीं मिलते हैं। उनमें खो-जाने** से मिलते हैं। (डॉ. सविता उपाध्याय) * ज्ञान। ** श्रद्धा/ भक्ति।

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व्यक्ति / अभिव्यक्ति

प्रश्न यह नहीं कि शक्ति कितनी है, सामग्री या संपत्ति कितनी है! प्रश्न है कि व्यक्ति कैसा है? यह तीनों साधन तो अधम को भी

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अनादर

यदि कोई एक बार हमारा अनादर कर देता है, तो उस अनादर को हम सौ बार दोहराते हैं। यदि वह दंड का अधिकारी है, तो

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ज्ञानी

जो चीज़ों को नज़र-अंदाज़ करे/ करने का प्रयास करे, वही ज्ञानी। ब्र. डॉ. नीलेश भैया

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संसार-चक्र

शेर की मांद के बाहर जानवरों के आने के ही पदचिह्न दिखते हैं, लौटने के नहीं। संसार में एक बार घुसने पर विरले ही निकल

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अंतरंग

गांधीनगर अक्षरधाम में पहली मूर्ति एक व्यक्ति की, अधबनी मूर्ति में पत्थर में से छेनी/हथौड़े से अपने आप की सुंदर सी मूर्ति बना रहा है।

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पुण्य / पाप

चोरी* करने की अनुकूलता/ कर पाना/ सफलता मिलना पुण्योदय से। चोरी करने में पाप-बंध। फल ? पापोदय जैसे असाध्य रोग/ दुर्गति/ गरीबी आदि। आर्यिका श्री

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मोह

नई सेविका के हाथ बेटे के लिये टिफिन भेजा। पहचानूंगी कैसे ? जो सबसे सुंदर हो। सेविका अपने बेटे को टिफिन दे आयी। ब्र. डॉ.

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नम्रता / आवेग

तुलसी कृत रामायण में राम को विनम्र कहा, लक्ष्मण को नम्र। नम्रता दूसरों से/ बाहर की स्थिति से संचालित होती है। विनम्रता स्वयं भीतर से

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मंगल आशीष

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