Category: डायरी
क्रोधादि
बीमार को देखकर/ सम्पर्क में आने पर बीमार होना पसंद नहीं करते हो। तो क्रोधी आदि के सम्पर्क में आने पर क्रोध आदि क्यों ?
पर्युषण…उत्तम क्षमा धर्म
क्षमा दो प्रकार से …. 1) नया क्रोध नहीं करना। 2) पुराने बैरों को समाप्त करके। कैसे ? पूर्व समय/ जन्म में किये गए अपने
स्वार्थ
हे स्वार्थ ! तेरा शुक्रिया। एक तू ही है, जिसने लोगों को आपस में जोड़ रखा है। (सुरेश)
उपयोगिता
दर्पण का मूल्य भले ही हीरे के सामने नगण्य हों, पर हीरा पहनने वाला दर्पण के सामने ही जाता है। (एन.सी.जैन- नोएडा)
सुख / दु:ख
सुख/ दु:ख एक ही बगिया के पौधे हैं। इन्हें लगाने/ सींचने/ संवारने/ बढ़ाने वाले माली हम खुद ही हैं। (सुरेश)
जिम्मेदारी
जिम्मेदारी दुनिया का सबसे बहतरीन टॉनिक है। एक बार पी लो जिंदगी भर थकने नहीं देती है। (अरविन्द बड़जात्या)
संस्कार
संस्कार तो ‘Groove’ जैसे होते हैं, उसी में से प्रवाह होता रहता है। यदि इससे आत्मा पतित/ दुखी हो रही हो तो उसके Side में
अध्यात्म
आज Car की कीमत बहुत है, कल को गैराज की कीमत कार से ज्यादा हो जायेगी। पर इन दोनों से ज्यादा कीमती है थी/ है
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