Category: डायरी

दसलक्षण / पर्यूषण

दसलक्षण…. दिगम्बर परम्परा में 10 दिनों का, क्षमादि सहित। पर्यूषण…. श्वेताम्बर परम्परा में 8 दिनों का, क्षमादि नहीं। मुनि श्री सुधासागर जी

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अपने

अपनी मुश्किलों को, अपनों के बीच रख दीजिए ! कुछ मुश्किलें कम होंगी और… कुछ अपने !* (अरविंद) * संसार का असली रूप पता लग

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स्वस्थता

स्वस्थ वह है, जो बिना दवाइयों के जीवन जी रहा हो। इन्द्रिय-भोग दवायें हैं, इच्छाओं को दबाने की, पर इनसे इच्छाओं की पूर्ती नहीं होती,

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विनय

विनय को पाने में दान भी सहायक होता है। कैसे ? दान से ममकार (मेरा-मेरा) के भाव कम होते हैं तथा पर-उपकार के भाव से

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सम्बंध

सम्बंध कांच जैसे होना चाहिये – 1. सावधानी जैसे कांच के बर्तनों के साथ रखते हैं 2. पारदर्शिता 3. टूटने पर ताप देकर नया बनाया

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सत्य

सत्य शब्द तो सत् से बना है तो वह कड़वा कैसे हो सकता है ! (कमलकांत)

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निर्मलता

मन की निर्मलता अनेकांत से, वचन की निर्मलता स्याद्वाद से, काय की निर्मलता अहिंसा से आती है। (कमलकांत)

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मंगल आशीष

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