Category: डायरी

विनय

मंदिर में/गुरु के दर्शन करते समय जूते ऐसी जगह उतारें जहाँ भगवान/गुरु की नज़र न पड़े । मुनि श्री सुधासागर जी

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पाप

पाप तो पहले भी होते थे; आज भी होते हैं। फ़र्क ? पहले सिर्फ़ बड़े पाप करते थे; आज वही  पाप छोटे भी करने लगे 

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भगवान अकर्ता

सम्यग्दृष्टि भगवान को अकर्ता मानता हुआ भी, असाता हटने पर भगवान का ही आभार क्यों मानता है ? ताकि उसे अपने पुरुषार्थ पर घमंड न

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सामंजस्य

तम्बू तानते समय खम्बा छोटा पड़ने पर छोटी सी चिप लगा देते हैं। जीवन को Balance करने के लिये थोड़ा सा विवेकपूर्ण रवैया काफी होता

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गुरुकृपा

तुलसीदास जी के एक भक्त अपने वैभव आदि का श्रेय गुरु को देते थे। तुलसीदास जी – ये वैभव आदि तो पापियों के भी होते

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कानून

संसार के कानून मनुष्य ने बनाये, धर्म के किसने ? ज़हर खाने से मरण की सज़ा, शाश्वत/ अनादि से/ प्राकृतिक नियम है। मुनि श्री प्रमाणसागर

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मंगल आशीष

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October 30, 2021

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