Category: डायरी
संस्कार
पहले गुरुकुल (गुरु के कुल) में जाते थे, वैसे ही संस्कार पाते थे । आज स्कूल (ईशु के कुल) में जाते हैं, संस्कार कैसे पा
चीज़ों में ख़ुशियाँ ?
हथेली तब भी छोटी थी, हथेली अब भी छोटी है, पहले खुशियां बटोरने में, चीजें छूट जातीं थीं , अब चीजें बटोरने में खुशियां, छूट
मौत का डर
🍃🌸🍃🌸🍃🌸 मौत के डर से ही सही,….. ज़िन्दगी को फुर्सत तो मिली….. सड़कों को राहत……. और घरों को रौनक तो मिली…. प्रकृति, तेरा रूठना भी
आदमी और जानवर
जानवर दूसरों के बच्चों का निवाला छीनकर अपने बच्चों को नहीं खिलाते। हिंसक जानवर भी एक जानवर को मार कर कई दिनों तक शिकार नहीं
सुख और उम्र
मुझे कहाँ मालूम था कि … सुख और उम्र की आपस में बनती नहीं… कड़ी मेहनत के बाद सुख को घर ले आया.. तो उम्र
रोक
किसी को रोकने के 2 प्रकार – 1. समझाने से 2. मिट* जाने से मुनि श्री सुधासागर जी * या तो ख़ुद के मिटने के
संसार / भगवान
जो दौड़-दौड़ कर भी नहीं मिलता, वह संसार है; जो बिना दौड़े मिलता है, वह भगवान है । (सुरेश)
भगवान और हम
हम भगवान के अंश नहीं हैं, ना ही भगवान के बाइ-प्राॅडक्ट हैं। बल्कि भगवान बनने का जो कच्चामाल होता है, वह हैं । बस, परिष्कार
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