Category: पहला कदम

मुनि शिवभूति जी

शिवभूति मुनि ज्ञानावरण कर्म के तीव्र उदय से अल्पज्ञानी थे। गुरु ने “मा-रुस मा-तुस” सूत्र का चिंतन करने को कहा। सूत्र का अर्थ था, “द्वेष

Read More »

आकाश में ऊर्जा

आकाश में, अणु से स्कंध तथा स्कंधों के टूटने से अणु बनने की क्रियाएं लगातार चलती रहती हैं। उससे Space में Energy बनी रहती है।

Read More »

चार गुण

सम्यग्दर्शन के लिये चार गुण (प्रशम, अनुकम्पा, संवेग, आस्तिक्य*)। पहले तीन गुण तो मिथ्यादृष्टि के भी हो सकते पर आस्तिक्य का संबंध सम्यग्दर्शन से ही

Read More »

शुद्ध जीवों में क्रिया

शुद्ध जीव 14वें गुणस्थान से सिद्धालय तक की 7 राजू की यात्रा करके हमेशा – हमेशा के लिये क्रिया रहित हो जाते हैं। मुनि श्री

Read More »

परमाणु में गुण/पर्याय

परमाणु में 4 गुण/ 5 पर्याय (एक रस, एक गंध, एक वर्ण, शीत या उष्ण, स्निग्ध या रुक्ष)। श्री राजवार्तिक – 5/25, पृष्ठ 13-14 (2008)

Read More »

उपशम भाव

उपशम भाव…. दर्शन मोहनीय की अपेक्षा चौथे गुणस्थान से। चारित्र मोहनीय की अपेक्षा सातवें गुणस्थान से। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

भोग-भूमि

जघन्य भोग भूमि दो प्रकार की … कुभोग भूमि तथा सुभोग भूमि। मुनि श्री अजितसागर जी/ऐलक श्री विवेकानन्दसागर जी

Read More »

पूजा / छह आवश्यक

पूजा में छह आवश्यक* घटित किये जा सकते हैं; पर घटित होते नहीं हैं। मुनि श्री अजितसागर जी * गुरुपास्ति, देवदर्शन/ पूजा, दान(यहाँ ज्ञान), तप(इच्छानिरोध),

Read More »

अवधिज्ञान

क्या अवधिज्ञान भव्यता/ अभव्यता को बता सकता है ? प्राय: नहीं, लेकिन कर्मों की आगे/ पीछे की स्थिति (अंत: कोड़ाकोड़ी सागर) दिख जाए तो कथंचित

Read More »

इन्द्र / जन्माभिषेक

भरत क्षेत्र के तीर्थंकरों का जन्माभिषेक सौधर्म इन्द्र, ऐरावत का ईशान, विदेह पूर्व व पश्चिम के सानत्कुमार व माहेन्द्र स्वर्ग के इन्द्र respectively, करते हैं।

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

August 29, 2024

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031