Category: पहला कदम

मांगना

सम्यग्दृष्टि कुछ मांगे तो क्या वह मिथ्यादृष्टि हो जायेगा ? भक्ति में मांगना सभ्यता है। सभ्यता व्यवहार है, संसार चलाने के लिये आवश्यक है। यदि

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शरीरों की स्थिति

शरीरों की उत्कृष्ट स्थिति –> 1. औदारिक – 3 पल्य (भोग भूमि) 2. वैक्रियक – 33 सागर (देव व नारकी) 3. आहारक – अंतर्मुहूर्त 4.

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संवेदनशीलता

आस्तिक्य भाव को जगाने वाले सफलतम साधु थे मुनि श्री क्षमासागर जी। जिन-जिन के अंदर उन्होंने ये भाव जाग्रत किया, वे आजतक सुसुप्त नहीं हुए

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सम्यग्दर्शन के अंग

सम्यग्दर्शन के 8 अंगों में से निर्विचिकित्सा, स्थितिकरण, उपगूहन, वात्सल्य और प्रभावना मुख्यतः मुनियों से जुड़े हैं। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (ति.भा. गाथा- 51)

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तप के फायदे

1. शरीर के स्तर पर –> अनशन से कैंसरादि का कारगर उपचार। उनोदर से आलस कम तथा मंदाग्नि का कारगर उपचार। रसपरित्याग –> Excess रस

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अखंड संकल्प

भरत चक्रवती सूर्य में जिनालय देखते थे, हम सूरज की ओर नज़र भी नहीं उठा सकते। कारण ? उनके अखंड देवदर्शन का नियम था। ६

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शक्तितस्त्याग

शक्तितस्त्याग दो प्रकार से व्याख्यायित किया गया है- 1. तत्त्वार्थ सूत्र जी में ⇒ “शक्तितस्त्याग” 2. षटखण्डागम जी में ⇒ “प्रासुक परित्याग” (तीर्थंकरादि की वाणी

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गोत्र

हाल ही की एक घटना…. एक लंगूर जो रोज़ाना उन लोगों के साथ खेलता था, अचानक उसने एक का कान काट कर अलग कर दिया।

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मोह

करंट दो प्रकार का … A.C. … जो झटका देता है जैसे 8 कर्म। D.C. … चिपका लेता है, पूरा चूसने पर ही छोड़ता है

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पुरुषार्थ

पुरुषार्थ = पुरुष का इच्छापूर्वक किया गया कार्य। पुरुषार्थ तो जड़ भी करते हैं जैसे भाप के कार्य। क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी आमतौर पर एक

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मंगल आशीष

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June 25, 2024

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