Category: पहला कदम
लेपाहार
शरीर पर तेल लगाना लेपाहार है, आहार में नहीं आयेगा। इससे त्वचा/ नसों को शक्ति/ लाभ तो होता है पर आहार में तो ग्रहण किया
परीषह
22 परीषहों में से 11 मानसिक हैं जैसे नग्नता, याचनादि। बाकी 11 शारीरिक होते हैं। क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी
अहमेंद्र / ब्रम्हचर्य
अहमेंद्रों को ब्रम्हचारी मानें या नहीं ? त्याग की दृष्टि से ब्रम्हचारी नहीं क्योंकि संकल्प नहीं है। ग्रहण की दृष्टि से ब्रम्हचारी मानें क्योंकि इंद्रियों
परीषह
मुनि 22 परीषहों को जय करके निर्जरा करते हैं। श्रावक के परीषहों की परिषद होती है, उससे कर्मबंध करते हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी
संयम
संयम = सम् (सम्यक् प्रकार) + यम (दबाना इन्द्रिय विषयों को)। क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी
सकारात्मकता
नकारात्मक सोच कर्म के उदय से/ औदयिक भाव। सकारात्मक क्षायोपशमिक भाव, इसके लिये पुरुषार्थ करना पड़ता है। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
अभक्ष्य
अभक्ष्य सेवन से निकाचित कर्मबंध होता है। इसलिए बच्चों को णमोकार मंत्र याद कराने से पहले 8 अभक्ष्यों (मांस, मदिरा, मधु, 5 उदम्बरों) का त्याग
निर्वाण दिवस
भावना भायें → मैं ऐसा बनूँ। प्रभावना → सब जानें/ वैसे बनें। सिर्फ़ महावीर भगवान का मनाने का नुकसान भी → जैन धर्म 2600 वर्ष
ज्ञान / अनुभूति
ज्ञान तो ख़ुद भी पढ़कर ले सकते हो पर अनुभूति तभी जब उनसे ज्ञान लिया हो जिन्होंने उस ज्ञान की अनभूति की हो। मुनि श्री
Recent Comments