Category: पहला कदम
विनय तप
1. ये सुनने में सरल लगता है पर Practice में कठिन है। 2. विनय तप बाह्य तप से ज्यादा कठिन है, क्योंकि बाह्य तो इच्छानुसार
मधु
मन्दिरों में प्राय: एक चित्र होता है जिसमें एक आदमी पेड़ से लटका हुआ मधु की बूंदों को ग्रहण कर रहा है, मधुमक्खी (प्रियजन) काट
एकेन्द्रिय
तत्त्वार्थ सूत्र में एकेन्द्रिय का जो क्रम दिया है वह वैज्ञानिक है – पहले पृथ्वी, इसके आधार से जल रहता है; पृथ्वी और जल से
पत्ते वाली सब्जियाँ
पालक, मैथी, बथुआ आदि सब्जियों में पकाव नहीं। इसलिये अनन्त जीवों सहित हैं। “प्रत्येक” हैं पर इनकी प्रत्येकता ग्रहण में नहीं आती है। मुनि श्री
सम्यग्दर्शन
आत्मा तो दिखती नहीं सो आत्मानुभव से सम्यग्दर्शन नहीं कहा। पुदगल दिखता है सो सही/ गलत पुदगल को वैसा का वैसा (सही को सही, गलत
चल/अचल प्रदेश
स्वाध्याय में हम अवस्थित (अचल) पर प्रदेश चल। आयुकर्म के पूर्ण अभाव पर स्थावर जीव भी चलित। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड गाथा – 592)
100 इंद्र
40 भवनवासी + 24 कल्पवासी + 32 व्यंतर + 1 सूर्य +1 चंद्र + 1 चक्रवर्ती + 1 शेर । प्रश्न → जब देवों के
श्वासोच्छवास
श्वासोच्छवास एक प्राण है। किसकी श्वासोच्छवास ? 1. जो धन सम्पदा से भरा हो/ सुखी हो। 2. आलस्य से रहित हो। 3. निरोगी हो। (प्राणायाम
द्रव्य/ तत्त्व/ पदार्थ
द्रव्य पुजारी, तत्त्व पूजा, पदार्थ द्रव्य के भाव को हटाकर पर्याय से जाना जाए। पदार्थ स्वभाव (जैसे सिद्ध) तथा विभाव भी (संसारी जीव)*। निर्यापक मुनि
असाता आस्रव
असाता आस्रव के कारण (दुःख, शोक, ताप, आक्रंदन, परिवेदन) “स्व” तथा “पर” के विषय में। जैसे बेटे की बीमारी में दुःखादि, लेकिन यह करुणा में
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