Category: पहला कदम

छेदोपस्थापना

छेदोपस्थापना अनेक प्रकार का। छेदोपस्थापना = पुरानी पर्याय (सामायिक चारित्ररूप) का छेदन करके आत्मा को एक यमरूप (अहिंसा)/ 5 यमरूप ( 5 व्रतरूप = अहिंसा

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नियम / क्षयोपशम

अभक्ष्य न खाना/ रात्रि भोजन त्याग, चारित्र मोहनीय के क्षयोपशम से नहीं, बल्कि इनके करने से चारित्र मोहनीय का क्षयोपशम होगा। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर

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सतर्कता

स्वाध्याय कराते समय बीच-बीच में प्रश्न इसलिये करते हैं ताकि हर व्यक्ति, हर समय सतर्क रहें। जैसे आयुबंध के लिये हर समय सतर्क रहना जरूरी

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अलौकिक ज्ञान

अलौकिक ज्ञान जो सामान्य लोगों को नहीं दिया जाता/ वह ज्ञान जो लौकिकता से ऊपर उठा हुआ हो जैसे जीवकांड का ज्ञान। पर इसे पारलौकिक

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आयुबंध

शैल समान क्रोध में भी आयुबंध हो सकती है, बस इसके उत्कृष्ट काल में आयुबंध नहीं होगी। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जिज्ञासा समाधान – 25.5.21)

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सच्चा

सिर्फ तीन के आगे “सच्चा” शब्द लगता है – सच्चे देव, शास्त्र, गुरु। यानी इन तीन के अलावा बाकि सब झूठे/ भ्रम हैं। चिंतन

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सासादन

सासादन के साथ सब ग्रंथों में सम्यग्दर्शन शब्द का प्रयोग किया है। मिथ्यात्व गुणस्थान आगे होने वाली पर्याय। सासादन का काल – पल्य का असंख्यातवाँ

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श्रद्धा / प्रमेयत्व

सामान्य दृष्टि से सब नहीं दिखता। चश्मा लगा कर बेहतर, श्रद्धा से अरूपी पदार्थ भी। प्रमेयत्व गुण की वजह से रूपी/ अरुपी पदार्थ देखे जाते

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शक्तियाँ

मुनिराज उपादान शक्ति को जाग्रत/ बढ़ा लेते हैं। इसलिए उनको काले/ नीले शरीर से दर्शाते हैं। जिस पर बाहर के दूसरे रंग/ निमित्त शक्तियाँ प्रभावित

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धर्म

बिच्छू काट ले तो मरण। ये धर्म हुआ या अधर्म ? ये बिच्छू का स्वभाव है, अपने भरण पोषण/ Defence में काटता है। स्वभाव को

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मंगल आशीष

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