Category: पहला कदम

ध्यान

सिद्ध/अरहंत का ध्यान कैसे करें ? उनके द्रव्य/ पर्याय/ गुणों को याद करके जैसे अरहंत को अशोकवृक्ष, सिंहासन आदि को ध्यान में लाकर। मुनि श्री

Read More »

अपकर्ष काल

भुज्यमान आयु का अपकर्ष कर-करके परभव आयु के बंघ के काल को अपकर्ष-काल कहते हैं। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकांड -गाथा – 518)

Read More »

नौकरी

आदिनाथ भगवान ने आजीविका के लिये असि, मसि, कृषि, विद्या, वाणिज्य और शिल्प ये 6 तरीके बताये हैं, पर नौकरी नहीं बताई। दास-दासी को परिग्रह

Read More »

श्रुतकेवली / उपाध्याय

श्रुतकेवली आत्मा का गुण है, पद नहीं। उपाध्याय पद है जिसे आचार्य या संघ देते हैं, पर चौथे काल में भी उदाहरण नहीं मिलता है।

Read More »

क्षयोपशम

क्षयोपशम चारों घातिया कर्मों में ही होता है, अघातिया में नहीं। मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

विश्वास

व्रतादि के बारे में भगवान ने ही कहा है, विश्वास कैसे करें ? तत्त्वार्थ सूत्रादि सब ग्रंथों में एक सा वर्णन सिद्ध करता है कि

Read More »

चक्र

प्रायः चक्रवर्ती का चक्र आयुधशाला में ही आता है। एक चक्रवर्ती का भोजन करते समय, उनकी थाली ही चक्र बन गयी थी। निर्यापक मुनि श्री

Read More »

Heart Attack

जब भाव-मन पर आघात होता है तब उसका असर द्रव्य-मन पर भी हो जाता है, यही Heart Attack है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

Read More »

जैन दर्शन का विस्तार

जैन दर्शन का विस्तार इसलिये कम हो पाया क्योंकि इसमें आचरण को प्रमुखता दी है, जबकि अन्य मत वैचारक हैं। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

July 28, 2023

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930