Category: पहला कदम

कर्म-भार

कावड़िया(जीव), कावड़ी(शरीर) के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थानों(पर्यायों) में बोझा(कर्म-भार) ढोता रहता है। नये स्थान पर जा दूसरी कावड़ी बना, फिर नया बोझा

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प्राण

तीनों बल (मन, वचन, काय) के लिये ज्ञानावरण तथा दर्शनावरण दोनों का क्षयोपशम होना चाहिये क्योंकि ज्ञान बिना दर्शन के होगा नहीं। वीरांतराय कर्म के

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शरीर नामकर्म

शरीर के योग्य परमाणुओं का संचय आयु (शरीर) के अनुसार होता है। औदारिक, वैक्रियिक व आहारक शरीरों में (गुण-हानि) हर अंतर्मुहूर्त के बाद द्रव्य आधा-आधा

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सम्यग्दर्शन की पात्रता

तिर्यंचों को जन्म लेने के अंतर्मुहूर्त के बाद, मनुष्यों में 8 वर्ष के बाद। कारण ? तिर्यंच… सुनता-गुनता है, परन्तु बोलता नहीं। मनुष्य बोलता बहुत

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पाप / कषाय

धर्म में पाप के नाश करने पर बहुत जोर दिया है, कषाय के नाश पर नहीं। कारण ? पाप बहुत व्यापक है, इसमें कषाय भी

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भेद विज्ञान

भेद करना बुरा/ अज्ञान है, विवेक पूर्वक भेद करना → भेद विज्ञान है, अच्छा है, ज्ञान पूर्वक होता है। भेद विज्ञान → 1. प्रथमानुयोग उदाहरण

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सूतक

प्रतिमाधारी भी घर में किसी का मरण होने पर/ दाहसंस्कार करके लौटने पर, पहले से घर वालों द्वारा बना हुआ/ रखा हुआ भोजन भी नहा

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अनंत गुणे

(1) अतीत काल से अनागत काल अनंत गुणा। (2) एक निगोद शरीर में सिद्धों से अनंत गुणे जीव। अनंत काल के बाद अनंत सिद्ध और

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दस धर्म

क्षमा, मार्दव, आर्जव – भाव हैं, क्योंकि उनमें कुछ त्याग नहीं करना। सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग – उपाय हैं, इनमें त्याग करना है। तब

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कषाय चार भेद

अनंतानुबंधी → अपनी सीट पर बैठ कर दूसरों की सीटों पर पैर पसार कर लेटना। अप्रत्याख्यान → मेरी सीट मेरी, तुम्हारी सीट तुम्हारी। प्रत्याख्यान →

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मंगल आशीष

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