Category: पहला कदम

णमोकार

आदिनाथ भगवान ने णमोकार नहीं बताया जबकि छोटी-छोटी बातें तक बतायीं क्योंकि णमोकार तो अनादि से चला आ रहा था/है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

Read More »

अरिहंता-णम

1. अरिहंता – अरि (दुश्मन) का हनन करने वाले (श्री षटखंडागम) 2. अरहंता – जिन्होंने अरहंत पद को प्राप्त कर लिया। 3. अरुहंता – अरु

Read More »

प्रासुक जल

छने जल को सुबह उबालकर 24 घंटे लेने योग्य तो हो जाता है लेकिन व्रती हर बार प्रयोग में लेने से पहले थोड़ा गरम करके

Read More »

धारणा / पारणा

धारणा = धारण करना, व्रतादि को, प्रवेश कराना चक्रव्यूह में। पारणा = पूरा करना, व्रतादि को निकालना चक्रव्यूह से। धारणा से पारणा ज्यादा महत्त्वपूर्ण होती

Read More »

दीक्षा और आहार

दीक्षा लेते समय उपवास (आहार त्याग का संकल्प)… सामान्य मुनि उस दिन, महावीर भगवान 2 दिन, आदिनाथ भगवान 6 माह तक। फिर आहार क्यों लिया

Read More »

संयम

वृतियों को अवृतियों से नहीं पढ़ना चाहिये वरना वृतियों में संयम के प्रति रुचि कम होने लगती है। (पं पन्नालाल जी को षटखंडागम कंठस्थ था,

Read More »

निर्जरा

निर्जरा = कर्मों का झड़ना । एक मजदूर आठ घंटे काम करता है और कमाता है 50 रुपये, जबकि एक Consultant दो घंटे काम करके

Read More »

श्रमण की आहार वृत्तियां

1) गोचरी वृत्ति – दाता के वैभव/सुंदरता को बिना देखे आहार करना। 2) अग्निशामक वृत्ति – पानी मीठा हो या खारा, उद्देश्य है – उदराग्नि

Read More »

कषाय

कषायें आत्मा को कसने के लिये कमर कस कर आतीं हैं ।

Read More »

वैराग्य

क्या आदिनाथ भगवान को नृत्य देखकर वैराग्य हुआ था ? नहीं, वैराग्य कभी राग की क्रियायों को देखकर नहीं होता है । उन्हें तो नीलांजना

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

September 3, 2021

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031