Category: पहला कदम

भक्ति

भक्ति में गुणों से अनुराग है, पर प्रसन्न मन से करनी चाहिए। भक्ति भी मुक्ति/ कर्म निर्जरा/ पुण्य बंध में कारण है, सबसे सरल उपाय।

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श्रावक / श्रमण

श्रावक का नम्बर 99 होता है, 2 अंकों वाला, सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान (अपूर्ण)। 99 के फेर में लगे रहते हैं। श्रमण का 100, तीन अंकों वाला

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भगवान के नाम के आगे 1008

भगवान के नाम के आगे 1008 लगाने के कई कारण हैं… 1) इंद्र जब भगवान का प्रथम दर्शन करता है तो 1008 आँखें बना लेता

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निस्पृहता

आचार्य श्री विद्यासागर जी ने 4 साल की मेहनत के बाद मूकमाटी महाकाव्य की रचना की। एक व्यक्ति आया (जो मुनियों पर श्रद्धा नहीं रखता

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वैरागी भरत

भरत वैरागी थे, पर कौन से भरत बड़े वैरागी थे ? देखा जाए तो राम के भाई भरत बड़े वैरागी थे। कैसे ? अयोध्या का

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शरीर और आत्मा का प्रभाव

भगवान जब जन्म लेते हैं एक समय के लिए नारकियों को भी साता हो जाती है। लेकिन भगवान के केवली समुद्घात जो प्रत्येक दिन एवरेज

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खादी

खादी बनाना करुणानुयोग का विषय है। कैसे ? खादी बनाना भी गणितीय विषय(ताना-बाना बुनते) है। (जो करुणानुयोग का स्वाध्याय है और संवेग का विषय है)।

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ब्रह्मचर्य

संत सुकरात से शिष्य ने पूछा – कम से कम कितने दिनों का ब्रह्मचर्य रखना चाहिये ? एक दिन छोड़ कर जीवन पर्यंत का। मन

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संस्थान / दीक्षा

चौथे काल में किसी भी संस्थान वालों को दीक्षा दे दी जाती थी, पर पंचम काल में नहीं। मुनि श्री सौम्य सागर जी- 11 फरवरी

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मंगल आशीष

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