Category: पहला कदम

मल-विसर्जन

नित्य-आहार के मल-विसर्जन के लिये 9 मल-द्वारों से मल-विसर्जन होता  है। त्वचा, मांस, हड्डियों के मल-विसर्जन के लिये असंख्यात द्वारों (रोम) से हर समय विसर्जन

Read More »

भावना

विनोवा भावे, भगवान महावीर और सल्लेखना से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने सल्लेखना पूर्वक अंतिम सांस, भगवान महावीर के निर्वाण के दिन, सूर्यकिरण के साथ, ठीक

Read More »

पुरुषार्थ

चक्रवर्ती अपने पास चक्र आने के बाद भी दुनिया को पुरुषार्थ का महत्त्व दिखाने के लिए साठ हजार वर्षों तक विजय-यात्रा करते रहे । मुनि

Read More »

पंचपरावर्तन

पंचपरावर्तन को जानने/उस पर श्रद्धा करने का महत्त्व – इस संसार में कुछ नया नहीं है; अनंत बार वही वही भोग भोग कर छोड़ चुके

Read More »

अनंत

अभव्य अनंत, भव्य-अनंतानंत; भूत अनंत समयों का, भविष्य – अनंतानंत समयों का। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

Read More »

व्रत / उद्यापन

श्री द्रव्यसंग्रहानुसार – व्रतों को अच्छे से निभाने से आधा लाभ/पुण्य, उद्यापन करने पर पूरा लाभ। यदि उद्यापन न कर सको तो व्रतों को दुगने

Read More »

प्रेरक-कथायें

शास्त्रों में प्रेरक-संस्मरण अणुव्रतियों के ही आये हैं, महाव्रती के नहीं। कारण ? मुनि तो स्व-प्रेरित होते हैं, उनको कथाओं के सहारे की ज़रूरत नहीं

Read More »

प्रकाश / अंधकार

प्रकाश – निमित्तक, उसके लिये सूर्य/दीपक आदि चाहिये । अंधकार – स्वतंत्र, पुद्गल की स्वाभाविक पर्याय अंधकार है । अच्छाइयों के लिये पुरुषार्थ करना होता

Read More »

धैर्य

गुरु – स्वर्ग की हर चीज़ बहुत बड़ी होती है । शिष्य – लाडू भी ? गुरु – हाँ । शिष्य – तो खिलवाइये ।

Read More »

लब्धियाँ

दानादि लब्धियाँ क्षयोपशमिक या क्षायिक क्योंकि दानादि दे पा रहे हो। न दे पाना औदयिक-भाव से। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

October 31, 2021

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031