Category: पहला कदम

स्त्यानगृद्धि / बैर

स्त्यानगृद्धि में जीव नींद में उठकर हत्या तक कर आता है। यदि किसी के प्रति बैर है तो नींद में उसकी हत्या करने की संभावना

Read More »

ज्ञान चेतना

कर्म, नोकर्म, भावकर्म से जुड़ा है जीव। जब तक पहली दो चेतनाओं(कर्मफल, कर्म चेतना) से ऊपर नहीं उठता तब तक ज्ञान चेतना का अनुभव नहीं।

Read More »

मोहादि पर नियंत्रण

देवदर्शन/ पूजादि, सत्संग, गुरु वचन, ज्ञान के साथ धर्म करने से मोहादि पर नियंत्रण करना संभव है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (ति.भा.- गाथा 43)

Read More »

धर्म / अधर्म

वस्तु का स्वभाव ही धर्म है वस्तु अनादि से है, सो धर्म भी अनादि से हुआ। लेकिन ये अधर्म कब और कहाँ से आ गया

Read More »

वेग / संवेग

वेग की तीव्रता/ आक्रोश = आवेग काम करने की ज्यादा उत्सुकता = उत्सेग मद सहित उत्सेग = उद्वेग वेग रहित अवस्था = निर्वेग निर्वेगी (चिंता/

Read More »

समाधि-मरण

शरीर छूटने पर व्रत छूट जाते हैं पर व्रती व्रत छोड़ता नहीं/ छोड़ना चाहता नहीं। इसे ही समाधि-मरण कहते हैं। वही संस्कार अगले भव में

Read More »

गुरु आज्ञा

मुनि श्री प्रवचनसागर जी को गुरु आज्ञा मिली… अमुक मुनिराज की वैयावृत्ति करने की। रास्ते में पागल कुत्ते ने काट लिया। इंजेक्शन लगवाने की आचार्य

Read More »

अभीक्ष्ण-ज्ञानोपयोग

जो संवर का आदर तथा निर्जरा की इच्छा करता है, वह आत्मरसिक अभीक्ष्ण-ज्ञानोपयोग को जानता/ उसके निकट रहता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तिथ्य भा.–

Read More »

शुद्धि

शुद्धि अनेक प्रकार की, सिर्फ़ भाव-शुद्धि से काम सिद्ध नहीं होगा। निमित्त, द्रव्य, कर्म, नोकर्म शुद्धि भी चाहिये। लेकिन ये सब शुद्ध हों और भाव-शुद्धि

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

May 5, 2024

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031