Category: डायरी

विनयवान

“विद्या ददाति विनयम्” यानि विद्या विनय लाती है। यदि मैं विनयवान नहीं हूँ तो इसका अर्थ हुआ कि मैं विद्यावान भी नहीं हूँ। (ब्र.नीलेश भैया)

Read More »

व्यक्ति

व्यक्ति महत्त्वपूर्ण नहीं व्यक्तित्व महत्त्वपूर्ण होता है।

Read More »

घमंड

घमंड दबे पांव आता है, छम छम करता हुआ नहीं।   एकता – पुणे (प्रतिक्रिया  निकलती है छम छम करके)

Read More »

नकल में अकल

राजा के दरवाजे से एक भिखारी पीठ रगड़ रहा था। राजा को दया आयी कि इसका कोई साथी भी नहीं है, धन दिया। अगले दिन

Read More »

संभवता

संभव की सीमा जानने का केवल एक ही तरीका है… असंभव से भी आगे निकल जाना। (अनुपम चौधरी)

Read More »

धन / उपयोगिता

धन से नहीं, मन से अमीर बनें, क्योंकि मंदिरों में स्वर्ण कलश भले ही लगे हों लेकिन नतमस्तक पत्थर की सीढ़ियों पर ही होना पड़ता

Read More »

निस्सार

संसार की निस्सारता वही समझ पाते हैं जिनमें कुछ सार हो। (पापी/ भोगी के जीवन सारहीन, वे संसार की निस्सारता को क्या समझेंगे !)

Read More »

पूजा / भक्त्ति

पूजा में भक्त भगवान को सुनाता है, भक्ति में भक्त भगवान की सुनता है। (राकेश जी)

Read More »

गुरु-सानिध्य

एक चोर साधु की कुटिया को खुला देखकर, चोरी करने घुस गया। कुछ न मिलने पर लौटने लगा। साधु… “आये हो तो एक माला फेर

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives

December 3, 2022

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930