Category: पहला कदम
स्वाहा
स्व (की वस्तुओं) का अर्पण मंगलरूप व्यवहार – सर्वनाश मुनि श्री सुधासागर जी
रागद्वेष / मोह
रागद्वेष कषाय जन्य है, मोह मिथ्यात्व से उत्पन्न/प्रेरित होने वाली चीज़ है । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
जन्मोत्सव
जन्म के 45वें दिन बच्चे को मंदिर ले जायें, पिता अभिषेक/पूजा करके बच्चे को गंधोदक लगायें, माता/पिता 8 साल तक बच्चे के अष्टमूलगुण पालन कराने
संसार
अशुभ और पाप ही संसार है – आचार्य समंतभद्र जी ; ऐसा निर्णय होने पर अशुभोपयोग से बच सकते हैं । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
मुखर मौन
भगवान/सच्चे गुरु बोलना नहीं चाहते हैं, भक्तों के पुण्य बुलवा लेते हैं । 2) बड़े बच्चों से कहते हैं – शोर मत करो, मैं सो
स्वाध्याय
स्वाध्याय को परम-तप कहा, तो सिर्फ स्वाध्याय करते रहने में क्या हानि ? यदि प्रश्नपत्र में पहला प्रश्न अनिवार्य हो, तो क्या 3 घंटे उसी
सम्यक्/मिथ्या दृष्टि
भव-सागर में अनंत से बहते-बहते जिसकी दृष्टि “छोर” पर हो जाती है, वह सम्यग्दृष्टि । जिसकी “और-और” पर, वह मिथ्यादृष्टि । आचार्य श्री विद्यासागर जी
व्यवहार/निश्चय
घड़े में घी, इसमें घड़ा व्यवहार और निश्चय घी । बिना घड़े के घी रह नहीं पायेगा हालांकि सुगंध/ताकत/मूल्य घी का । मुनि श्री सुधासागर
कर्मबंध
श्री समयसार जी के अनुसार “प्रज्ञाप्राध” (उपयोग + अपराध) से ही कर्मबंध होते हैं । जैसे हीरा देखा, हड़़पने के भाव/ डॉक्टर ने सेवा की
दिव्यध्वनि
दिव्यध्वनि एक बार में 6 घड़ी तक (2’24”) खिरती है । श्री जयधवला के अनुसार – नित्य 3 बार तथा जीवकांड जी के अनुसार –
Recent Comments