Category: पहला कदम
बीस तीर्थंकर
पुराने आचार्यों ने 20 तीर्थंकरों की भक्ति नहीं लिखी । भरत ने 72 जिनालय बनाये पर बीस तीर्थंकरों के नहीं । पुरानी प्रतिमायें भी नहीं मिलतीं है
सीता / रावण
सीता का आखिरी भव 22 सागर का चल रहा है, पर रावण अनेकों भव लेकर तीर्थंकर बनेंगे, तब सीता का जीव उनका गणधर बनेगा और
अवधि/मन:पर्यय ज्ञान
अवधि-ज्ञान की सीमा ज्यादा, मन:पर्यय-ज्ञान की सीमा कम क्यों होती है ? लोहे की तराजू क्विंटल में नापती है,ग्रामों को नहीं नाप पाती; सोने/हीरे की
मोक्ष और मार्ग
सम्यग्दर्शन, सम्यक्ज्ञान, सम्यक्चारित्र मोक्ष-मार्ग हैं, मोक्ष नहीं/ मोक्ष की राह दिखाने के लिये Torch हैं । खोई हुयी वस्तुऐं ढ़ूढ़ने के लिये हैं, बिना Torch
धर्म
धर्म दर्द देता है, यदि सुख मिल रहा है तो वह धर्म है ही नहीं, यही कारण है कि प्राय: लोगों के जीवन में धर्म
ध्रुव / अध्रुव
ध्रुव भाव आते ही, अध्रुव पदार्थ भी आने लगते हैं क्योंकि ध्रुव भाव में साता रहती है । जहाँ साता/संवेग रहती है वहाँ वैभव आता
उद्वेग / संवेग
उद्वेग – हम कुछ हैं/बाह्य Achievement, आत्मा से दूर ले जाता है । संवेग – “मैं” घटाना है, आत्मा के पास ले जाता है ।
कर्म
कर्म… सम्यग्दृष्टि के “हो जाते हैं”, मिथ्यादृष्टि.. “कर जाते हैं” ।
दस धर्म
इन धर्मों के लक्षण ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, जिस व्यक्ति में ये दस लक्षण दिखें वो धर्मात्मा, न कि क्रियायें करने वाला । जो धर्म के
पुण्यार्जक
भोजन व्यवस्था के पुण्यार्जक को अपने मित्रों/रिश्तेदारों को भोजन कराने नहीं बुलाना चाहिये । यदि बुलाते हो तो उनके भोजन के लिये धन अलग से
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