Category: पहला कदम
तप के फायदे
1. शरीर के स्तर पर –> अनशन से कैंसरादि का कारगर उपचार। उनोदर से आलस कम तथा मंदाग्नि का कारगर उपचार। रसपरित्याग –> Excess रस
अखंड संकल्प
भरत चक्रवती सूर्य में जिनालय देखते थे, हम सूरज की ओर नज़र भी नहीं उठा सकते। कारण ? उनके अखंड देवदर्शन का नियम था। ६
शक्तितस्त्याग
शक्तितस्त्याग दो प्रकार से व्याख्यायित किया गया है- 1. तत्त्वार्थ सूत्र जी में ⇒ “शक्तितस्त्याग” 2. षटखण्डागम जी में ⇒ “प्रासुक परित्याग” (तीर्थंकरादि की वाणी
गोत्र
हाल ही की एक घटना…. एक लंगूर जो रोज़ाना उन लोगों के साथ खेलता था, अचानक उसने एक का कान काट कर अलग कर दिया।
मोह
करंट दो प्रकार का … A.C. … जो झटका देता है जैसे 8 कर्म। D.C. … चिपका लेता है, पूरा चूसने पर ही छोड़ता है
पुरुषार्थ
पुरुषार्थ = पुरुष का इच्छापूर्वक किया गया कार्य। पुरुषार्थ तो जड़ भी करते हैं जैसे भाप के कार्य। क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी आमतौर पर एक
नियति / भव्यत्व
नियति = समय की अपेक्षा काललब्धि। भव्यत्व = अंतरंग क्षमता। पर सिर्फ नियति/ नियतिवाद को मानना मिथ्यात्व है। क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी
भाषण / उपदेश
भाषण सिर्फ सुनने, स्वार्थ हेतु। उपदेश ग्रहण करने, स्व-पर कल्याण हेतु। उप = निकट पहुंचे + देश = देशना। यह मुख्यत: गुरु (साधु) का काम।
समता / ममता
मोही के घर में ममता तथा ज्ञानी के घर में समता रहती है। समता = सम (राग द्वेष से रहित/ सुख दुःख में समान)। ममता
अध्यात्म/सिद्धांत ग्रंथ
अध्यात्म ग्रंथ विशेष व्यक्तियों की अपेक्षा। सिद्धांत ग्रंथ सार्वभौमिक। जानने से श्रद्धा/ सम्यग्दर्शन नहीं, मानने से। हाँ ! जानना, मानने के लिये ज़रूरी होता है।
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