Category: पहला कदम

वैमानिक देव

सम्यग्दर्शन की अपेक्षा से नहीं किंतु शुभलेश्या के कारण वे विमानवासी देव माने जाते हैं। मान सम्मान के साथ वहां पर रहते हैं इसीलिए उनको

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केवलज्ञान / पुरुषार्थ

जब केवलज्ञान में भविष्य दिख रहा है तो पुरुषार्थ का क्या महत्त्व रह गया ? एक लड़के ने कीड़ा मुठ्ठी में रखकर भगवान से पूछा

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पूर्वाग्रह

आजन्म करावास पूरा करके एक व्यक्ति ट्रेन से अपने गांव की ओर जा रहा था। साथियों से बोला… स्टेशन आने पर जरा देख कर बताना

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समाधि के बाद पिच्छी

समाधि के बाद पिच्छिका भक्त/ घरवालों को न देकर वहीं पेड़ पर लटका दी जाती है, ताकि दिवंगत जीव भवनत्रिक देव बनने की दशा में

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श्रुतज्ञान

श्रुतज्ञान ही स्व(स्वार्थ)-पर(परार्थ) कल्याणक होता है। बाकी चार ज्ञान स्वार्थज्ञान ही हैं। केवलज्ञान भी जानता है पर उसके द्वारा दिव्यध्वनि नहीं खिरती। इसके लिये अन्य

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जीवों के प्रकार

जीव तीन प्रकार के: 1) धन है, इससे अनभिज्ञ: जैसे किसी ने मकान बेचा; उसके नीचे ख़ज़ाना था, किंतु उसे मालूम नहीं। ऐसे हीअभव्य मिथ्यादृष्टि

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निशंक

प्रारम्भिक अवस्था में इतनी शंका कर लें कि आगे शंकाहीन हो जायें। ब्र. डॉ. नीलेश भैया

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शील

छहढाला में मुनियों के 18000 शील संकल्प-रुप कहे हैं। पूर्णता तो अयोग-केवली के होती है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (शंका समाधान – 44)

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सिद्धांत ग्रंथ

सिद्धांत ग्रंथ गृहस्थों को पढ़ने की मनाही क्यों है ? साधारण व्यक्ति को भोजन करने में विशुद्धता नहीं चाहिये, मुनि के लिये बहुत। ऐसे ही

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मंगल आशीष

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January 11, 2025

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