Category: पहला कदम
Heart Attack
जब भाव-मन पर आघात होता है तब उसका असर द्रव्य-मन पर भी हो जाता है, यही Heart Attack है| मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
पूर्ण ज्ञान
केवलज्ञानी किसी भी द्रव्य की पहली और अंतिम पर्याय को नहीं जानते तो इसे पूर्णज्ञान कैसे कहा ? चूड़ी में आरम्भ/अंत न मालुम होते हुए
अनुभय / उभय
कार्य जिस रूप तो कारण भी उसी रूप। श्रोता में अनुभय तो भगवान (अरहंत) में भी घटित होगा। उभय में चूंकि असत्य भी है इसलिये
निगोद-बंध
कषाय की तीव्रता से या त्रस-काल पूर्ण करने से निगोद-बंध तथा निकलते हैं कषाय की मंदता से। पाप की तीव्रता से नरक !
वैराग्य
बहुत से तीर्थंकरों को वैराग्य जन्म की तिथियों को क्यों हुआ ? महान पुरुषों को वैराग्य खुशी में होता है। मुनि श्री सुधासागर जी
णमोकार मंत्र
णमोकार मंत्र के सभी पदों के अंत में परमेष्ठियों के नाम (अरिहंताणं, सिद्धाणं आदि) चतुर्थी विभक्ति (संप्रदान) के बहुवचन में है। इसका अर्थ है; अरिहंतों(बहुवचन)
दिव्य ध्वनि
दिव्य ध्वनि जब तक श्रोता के कान तक नहीं पहुँचती तब तक “अनुभय”। पहुँचने पर जितना समझ आ जाय वह “सत्य”, जितना समझ न आये
सूर्य जिनालय दर्शन
मकर (कर्क) संक्रांति को भरत चक्रवर्ती सूर्य में स्थित जिनालय के दर्शन करते थे। शंका – नीचे विमान उसके ऊपर जिनालय तो विमान के ऊपर
Ego
Ego हमें Zero बना देती है। Ego को Zero करने का उपाय ? अर्हं योग। क्यों Zero हो सकता है ? “अर्हं” भगवान का नाम,
क्षायिक स.द्रष्टि और आत्महत्या
क्षायिक सम्यग्दृष्टि आत्महत्या नहीं करते। पर मरण के अंतर्मुहूर्त पहले कर्म-विपाक से बुद्धि फिर जाती है → श्रेणिक का बेटा उसे बचाने आया, पर श्रेणिक
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