Category: पहला कदम

पाप / कषाय

धर्म में पाप के नाश करने पर बहुत जोर दिया है, कषाय के नाश पर नहीं। कारण ? पाप बहुत व्यापक है, इसमें कषाय भी

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भेद विज्ञान

भेद करना बुरा/ अज्ञान है, विवेक पूर्वक भेद करना → भेद विज्ञान है, अच्छा है, ज्ञान पूर्वक होता है। भेद विज्ञान → 1. प्रथमानुयोग उदाहरण

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सूतक

प्रतिमाधारी भी घर में किसी का मरण होने पर/ दाहसंस्कार करके लौटने पर, पहले से घर वालों द्वारा बना हुआ/ रखा हुआ भोजन भी नहा

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अनंत गुणे

(1) अतीत काल से अनागत काल अनंत गुणा। (2) एक निगोद शरीर में सिद्धों से अनंत गुणे जीव। अनंत काल के बाद अनंत सिद्ध और

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दस धर्म

क्षमा, मार्दव, आर्जव – भाव हैं, क्योंकि उनमें कुछ त्याग नहीं करना। सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग – उपाय हैं, इनमें त्याग करना है। तब

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कषाय चार भेद

अनंतानुबंधी → अपनी सीट पर बैठ कर दूसरों की सीटों पर पैर पसार कर लेटना। अप्रत्याख्यान → मेरी सीट मेरी, तुम्हारी सीट तुम्हारी। प्रत्याख्यान →

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अशुचि

श्री रत्नकरंड श्रावकाचारानुसार → शरीर से स्पर्श होते ही वस्तु अपवित्र हो जाती है। खुद अनुभव करें → हमारे शरीर के सम्पर्क में आयीं वस्तुओं

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कंद-मूल

कंद जैसे आलु आदि। मूल जो मूल शरीर से पैदा हो जैसे हल्दी आदि। कंद में मूल कम मात्रा में डाले जाते हैं, औषधि रूप।

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कुलाचार

जैन कुलाचार के अनुसार भगवान 18 दोष रहित, गुरु-निर्ग्रंथ, भोजन- शुद्ध, अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांत, आत्म-स्वतंत्रता। ये कुलाचार सिर्फ मनुष्यों में होता है, पशु/ देवों तक

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धर्मध्यान / शुद्धता

पहले दो शुक्लध्यानों से शरीर इतना शुद्ध हो जाता है कि धातुऐं तो रहती हैं परन्तु निगोदिया जीव नहीं रहते। धर्मध्यान से भी शरीर इतना

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मंगल आशीष

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